कुछ सवाल कश्मीरी युवावों से

कुछ सवाल कश्मीरी युवाओं से?

कश्मीर के मौजूदा हालात को देख के बरबस एक कहानी याद आती है।एक संयुक्त परिवार में एक ने बगावत कर दी है, कारण यह नहीं है कि वह अपने होशो हवास से अलग होना चाहता है, उसके पीछे उसके परिवार का दुश्मन, जो उसका पडोसी है कि कान भराई है और ना सिर्फ कान भराई है, वह उस बेटे को बाप से लड़ने के लिए हथियार भी सप्लाई कर रहा है ।ऐसे में परिवार का मुखिया की समझदारी किसमे है? वह पडोसी के जाल में खुद आ जाये? या उस पडोसी के जाल से खुद और अपने बेटे को पहले बचाये ? वह अपने बेटे से इस पे बात करना चाहता है लेकिन वह इंतज़ार कर रहा है कि कब उसका बेटा पडोसी के प्रभाव से मुक्त होकर बात करेगा। यकीन जिस दिन बिना पाकिस्तान के कश्मीरी सरकार से बात करेंगे समस्या का समाधान हो जायेगा। इसी संबंध मे कुछ ऐसे सवाल है जो कश्मीरी युवाओं से पूछे जाने चाहिए।

कैसी आज़ादी चाहिए आपको और आजादी से आपका क्या मतलब है ?

कश्मीर को आज़ाद मुल्क के रूप मे आप कैसे देखना चाहते हैं ? और आज़ादी से आप क्या मतलब रखते है ? कहीं आप भारत की आज़ादी की तुलना कश्मीर की आज़ादी से तो नहीं कर रहे हैं ?  ये गौरतलब होना चाहिए आज़ाद देश के भी शासक होते हैं और कमोबेश सभी शासकों के चरित्र एक होते हैं। आज़ादी और विकास दो अलग अलग पहलू हैं। भारत जैसे संघीय देश ने जो विकास किया है उसके कई कारण हैं। भारत विभिन्न संसाधनो वाला देश है और ये संसाधन देश के विभिन्न प्रदेशों मे फैले हैं लोग बिना वीजा पासपोर्ट के आते जाते हैं , माल और सेवाएँ आयात निर्यात की जटिलताओं से मुक्त है और राज्यों ने संसाधनो के संदर्भ मे एक दूसरे के पूरक हो के सिर्फ अपने राज्य और राज्य के लोगों का ही विकास नहीं किया बल्कि अपने राज्य के नागरिकों को 25 राज्यों मे बिना वीजा पासपोर्ट के रोजगार के अवसर प्रदान किए। तकनीकी दृष्टि से भारत का हर राज्य अपने आप मे भारतीय संघ का एक देश है। उनने अपनी विदेश नीति और रक्षा नीति संघीय सरकार के मत्थे मढ़ के बाकी कार्य खुद से करती हैं। भारत मे राज्यपाल तभी सक्रिय है जहां कहीं भी संविधान पे संकट है अन्यथा हर हाल मे तो उसे राज्य के मंत्रिमंडल हे अनुसार ही चलना है । आपका प्रश्न हो सकता है की आयकर और उत्पाद कर और आयात निर्यात कर संघीय सरकार के पास है तो इस संबंध मे शंका जायज है और पर इसके समाधान के रास्ते भी हैं और आज भी राज्य मे एकत्र किए गए उपरोक्त कर मे राज्यों का भी हिस्सा रहता है । राज्य एवं संघ के बीच व्यापार बहस का विषय हो सकता है पर यह आज़ादी का कारण नहीं बन सकता है। फिर आपका प्रश्न होगा की भारत के सूप्रीम कोर्ट का निर्णय जम्मू कश्मीर मे लागू नहीं होना चाहिए पर यदि आप आज़ाद हो भी जाते हैं तो कोर्ट का ढांचा तो आप वही रखेंगे भले ही आप आज के हाइ कोर्ट को कश्मीर का सूप्रीम कोर्ट बना दें। तो फिर आप बदलाव कैसा चाहते हैं ? एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने के बाद आर्थिक तौर पे आपके पास क्या विकल्प रहेंगे ? खाद्यानों को के क्या विकल्प है ? आर्थिक संसाधनो के क्या विकल्प हैं ? रोजगार के क्या विकल्प हैं ? और ये संभावनाएँ इस समय किस स्थिति मे हैं और बाद में इसमे क्या परिवर्तन आ जाएगा ? कश्मीर की कानून व्यवस्था तो कश्मीरियों के पास है संघीय सरकार तो उसमे कोई हस्तक्षेप नहीं करती , आप बोलोगे कि कश्मीर पुलिस तो कश्मीर की है लेकिन सेना हर जगह प्रभावी है,  पर इसका भी तो कारण है ना,  वहाँ आतंकवाद है, वहाँ हिंसा है, आप पाकिस्तान के प्रभाव में है, हिंसा है,  अगर आप जीरो हिंसा की गारंटी लें भारतीय संविधान एवं संघ की अवधारणा के तहत तो सीमा को छोड़ के सेना कश्मीर के अंदर कहीं नहीं रक्खी जाएगी। भारत को कश्मीर को जबर्दस्ती संघ मे मिला के क्या मिलेगा? वह तो कश्मीर को दूसरा विफल राष्ट्र पाकिस्तान या अफगानिस्तान नहीं बनते देखना चाहता है, वह तो कश्मीर को फलते फूलते देखना चाहता है वो वो भी पूरी कश्मीरियत के साथ । कहीं कश्मीरियत से आपका मतलब कश्मीर मे भारत से अलग संविधान से है तो क्या आपको नहीं लगता की भारत से अच्छा संविधान खाड़ी के सभी देशों से अधिक स्वतन्त्रता एवं विकसित होने के अवसर प्रदान करता है। कहीं ऐसा तो नहीं की कुछ दुश्मन ताक़तें कश्मीरियत के नाम पे, आज़ादी के नाम की नशीली आज़ादी का नशा तो नहीं पीला रही ? ताकि कश्मीर का इस्तेमाल किया जा सके।
  

कश्मीरियत की आपकी क्या परिभाषा है ?

मैंने कश्मीरियत का शब्द बहुत सुना है। कश्मीरियत को या कश्मीरी पहचान को कहाँ खतरा है ? भारतीय संघ मे गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल, मलयाली या बंगाली पहचान कहाँ नष्ट हुवे और भारतीय शब्द ने कहाँ इस स्थानीय पहचान का अतिक्रमण किया ह?  एक भी उदाहरण हो तो बताइये। आप कैसी कश्मीरियत चाहते हैं बताइये तो सही, हो सकता है भारतीय संघ मे उसकी पूरी गुंजाईश हो आपकी शक सुबहा दूर कि जा सके।

एक स्वतंत्र राष्ट्र के बाद आप क्या पाएंगे ?
मान लो आप स्वतंत्र राष्ट्र बन भी जाएंगे , फिर आप उसके बाद क्या पाना चाहेंगे जो आज आपको नहीं मिल रहा है? आज आपके संसाधनो के अनुकूलतम दोहन संभावना मूल्य से ज्यादे भारतीय संघ वहाँ निवेश कर रहा है आप बताओ कि राष्ट्र बनने के बाद वहाँ क्या आर्थिक विकल्प पैदा हो जाएगा और आपके पास क्या विकल्प हैं ? वहाँ किन संसाधनो के द्वारा कश्मीर की जीडीपी का निर्धारण करेंगे ? क्या कश्मीरियों को भारत के 25 राज्यों मे जाने के लिए वीजा पासपोर्ट कि व्यवस्था करनी पड़ेगी? क्या इससे उनके रोजगार के विकल्प सीमित नहीं हो जाएंगे ? कश्मीर के विभिन्न सीमावों का रक्षा बजट तो वही रहेगा जो आज है वह तो तब आपको ही करना पड़ेगा।  इस बजट के लिए किन संसाधनों का दोहन करेंगे आप?  क्या आप राज्य का पूरा नया पुलिस ढांचा बनाएँगे ? क्या आप आज की तारीख मे कश्मीर के जवान जो पुलिस मे या राज्य सरकार या केंद्र सरकार की विभिन्न नौकरियों मे लगे हुवे हैं उनको नौकरी से निकालेंगे ? अगर नहीं तो इसका मतलब है आधारभूत ढांचा आप वही प्रयोग करेंगे। तो बदलाव कैसा चाहते हैं ? कहीं आज़ादी एक मिथ्या भ्रम तो नहीं ? या आप किसी भ्रम के आसान शिकार तो नहीं हो रहे ? क्या अपने सोचा की हमारा पड़ोसी जो कि इस्लाम के नाम पे हमसे अलग हुआ आज विफल क्यूँ है ?, क्यूँ की राष्ट्र के निर्माण के साथ ही संसाधनो और मशीनरी का विकास नहीं हो सका, आर्थिक रूप से कमजोर होने के नाते और रणनीतिक विंदु होने के नाते पश्चिम ने उसे हमेशा उसे कभी रूस के खिलाफ तो कभी चीन के खिलाफ इस्तेमाल किया और वो इस्तेमाल की वस्तु बन गया। ये पाकिस्तान की मजबूरी ही थी की पश्चिम के साये मे पहले तालिबान और बाद मे लादेन का निर्माण हुआ जो की अब पाकिस्तान के लिए सरदर्द हो गए हैं । ठीक भौगोलिक रणनीतिक स्थिति कश्मीर की है, सिर्फ भारतीय संघ मे होने के नाते कश्मीर का इस्तेमाल चीन या पश्चिम देशों ने अफगानिस्तान की तर्ज़ पर कर्ज़ और वित्त का लालच दिखा के खाड़ी देशो के खिलाफ नहीं कर पाये हैं। कहीं इसका फायदा उठाने के लिए आपको कश्मीर कि आज़ादी कि घुट्टी तो नहीं पिलाई जा रही है ?
   
एक स्वतंत्र राष्ट्र और एक स्वायत्त राज्य मे आप क्या अंतर पाते हैं ? और वर्तमान मे आपको कश्मीर गुलाम क्यूँ लगता है ?

आज भारतीय संघ को कश्मीर कि स्वायत्तता से कहीं ऐतराज नहीं तो आप बताइये आपकी आज़ादी इससे अपने आपको कहाँ अलग पाती है ? तब भी वहाँ चुनाव होगा आज भी है, तब भी वहाँ वजीरे आज़म होंगे आज भी हैं, तब भी वहाँ राष्ट्रपति होंगे आज भी राज्यपाल हैं, तब भी वही ढांचा रहेगा आज भी है। आप बोलते हैं निर्णयन का अधिकार आपके पास रहेगा रक्षा और विदेश नीति के अलावा बाकी नीतियाँ तो आपके पास ही हैं। रही रक्षा नीति कि बात तो आपके आज़ाद होने के बाद वह तो आपके लिए अनुत्पादक और अनावश्यक खर्च ही होगा जिसे आज भारतीय संघ वहन कर रही है। और फिर रही विदेश नीति कि बात तो भारत संघ जैसे गुजरात के मुख्यमंत्री को गुजराती के रूप मे विदेश मे संबंध बनाने से नहीं रोकती है तो आपको क्यूँ रोकेगी ? अगर भारतीय संविधान के किसी हिस्से से शिकायत है तो संविधान संसोधन का रास्ता तो है यहाँ पे। इतनी सब आज़ादी के बाद कश्मीर आपको गुलाम क्यूँ और कहाँ लगता है ? अगर शासन व्यवस्था से समस्या है तो आप चुनाव के माध्यम से तत्कालीन सरकार को हटाइए खुद विराजिए कौन रोक रहा है ? चुनाव लड़िए जीतिए और बदल दीजिये शासन को ले लीजिये लगाम कश्मीर कि किसने रोका है आपको ? सारे विकल्प तो हैं आपके पास आपकी पुलिस, आपकी सरकार आपके डीएम आपकी पंचायत, आपके ब्लॉक और आपकी जमीन सब तो है कश्मीरियों के पास फिर आप आज़ाद ही तो हैं । यह आज़ादी के नाम पे भारत विरोध कि घुट्टी तो नहीं पी रहे आप ? आपकी शिकायत अगर सेना के इर्द गिर्द है तो ये तो परिस्थितिजन्य निर्णय है जिस दिन आप जीरो हिंसा कि संभावना दिखाएँ सेना वापस। किसे पसंद है हिंसक कश्मीर, सेना के साये मे कश्मीर सब तो कश्मीर का दीदार करना चाहते हैं वो भी बिना बंदूकों के साये के।


आपको असली दर्द क्या होता है ?

अगर आप मुझे अपना ठीक ठीक दर्द मुझसे बताएं ना कि हाफिज़ सईद से तो हो सकता है कि कोई रोशनी दिखा सकूँ, । दर्द पूरी तरह से निकालिए, विस्तार से निकालिए रास्ता तभी मिल सकता है नहीं तो हम यही सोचेंगे कि यह अहं कि वही लड़ाई जो भारत के विभिन्न भागों मे लड़ी जाती है वहाँ का मुख्यमंत्री बनने के लिए वही यहाँ हैं। बहुत कम लोग यहाँ ऐसे हैं जो पृथक राज्य का निर्माण बजट और राजस्व के आधार पे चाहते हैं और आपके साथ तो वो भी समस्या नहीं बजट मे सबसे अच्छा बजट तो कश्मीर को दिया जाता है और अगर इसमे भी शिकायत है तो बनिए मुख्यमंत्री मजबूर करिए संघ को कि बजट कश्मीर के हिसाब से दो। रास्ते तो हैं आप इस्तेमाल करें। अगर ऐसी बात नहीं तो आप आंदोलनकारी रोग से पीड़ित हैं। इससे पृथक हो के चिंतन कर दूर किया जा सकता है। और अगर ये भी नहीं है तो मेरे हिसाब से हमारी तरफ से ऐसी कोई भी बात नहीं है जो हमे आपकी बात सुनने से रोकेगी।

क्या संघीय व्यवस्था मे राज्य की अवधारणा आज़ादी का अहसास नहीं कराती ?

आपने भारतीय संघ एवं एवं राज्यों की स्थिति का अध्ययन किया होगा । भारतीय संघीय व्यवस्था राज्यों को उनका सर्वोत्तम करने का अवसर प्रदान करती है और उनकी रक्षा समस्या अपने सर पे लेती है साथ ही साथ सरकार की सारी संघीय योजनाएँ राज्य को विकसित होने मे सहायता करती है। एक राज्य दूसरे के संबल हैं तो मुट्ठी के रूप मे एक ताकत हैं, हर राज्य जिसकी खुद की एक पहचान है विश्व मे अपनी मूल पहचान बनाए हुवे है और भारतीयता उसके पहचान के साथ ही और वो भारतीयता के साथ जानी जाती है दोनों एक दूसरे के पूरक है। संघीय वित्त वितरण प्रणाली हो, संसाधन वितरण प्रणाली, आधारभूत ढांचा निर्माण, हवाई अड्डे हो या सड़के हों , हो संघीय व्यवस्था कदम कदम पे राज्य सरकारों के साथ खड़ी है।आज भारतीय संघ मे होते हुवे भी गुजराती गुजराती है, मराठी मराठी है और यहाँ तक महाराष्ट्र मे होते हुवे भी कोंकणी , कोंकणी ही है , यहाँ कोई किसी का पहचान नष्ट नहीं करता है , धार्मिक स्वतन्त्रता, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, लोकतन्त्र की स्वतन्त्रता विश्व के किसी भी देश से ज्यादे है यहाँ। कश्मीरी यहाँ ज्यादे खुश है और भारतीय संघ उन्हे ज्यादे खुश करेगा ये मेरा दावा है फिर भी मैं चाहूँगा अगर आप इत्तिफाक़ इन बातों से नहीं रखते तो मिलिये एक बार। हमारे पास बहुत सी बातें है जो आपसे करना है, हम आपका जवाब चाहता हैं आपका राय चाहता हैं।

पाकिस्तान हमारी बातचीत में पार्टी क्यों है?

हमारी बातचीत में ये पाकिस्तान पार्टी क्यों है? हम तो इसे राजनैतिक समस्या मान के बात कर सकते हैं, लेकिन एक ऐसा देश जिसने हमारे ही कश्मीर पे कब्ज़ा किया हो उससे आप या हम कैसे बातचीत कर सकते हैं? हमारे आपसी बातचीत में पडोसी का क्या रोल? वह आपके दिलो दिमाग पर जब तक छाया है आप स्वतंत्र चिंतन नहीं कर सकते और जब तक आपका दिमाग उनके कब्जे में रहेगा हम आपसे कैसे बात कर सकते हैं? हम इंतज़ार करेंगे आपके दिलों दिमाग का पाकिस्तान से आज़ाद होने का, आपके ऊपर ही निर्भर है इसका समाधान, आप जितना देर करोगे आपका ही देर होगा।

हमारी बची हुवी और भी  जिज्ञासाएँ फिलहाल उसका संदर्भ मैं यहाँ नीचे दे दे रहा हूँ
स्वतंत्र राष्ट्र के बाद आप कश्मीर को क्या दे पाएंगे या कश्मीर को क्या मिलेगा ?
स्वतंत्र राष्ट्र के बाद आप क्यों कश्मीर , पाकिस्तान या अफगानिस्तान की तरह विफल राष्ट्र नहीं बन पाएगा ?
स्वतंत्र राष्ट्र के बाद आतंकी शिविरों के बारे पे आपकी क्या राय रहेगी ? आप इनसे कैसे निपटेंगे ?
स्वतंत्र राष्ट्र के बाद आप भारत से कैसे संबंध चाहेंगे ?
स्वतंत्र राष्ट्र के बाद आपकी वित्तीय नीति क्या होगी ?
स्वतंत्र राष्ट्र के बाद आपकी विदेश नीति क्या होगी और कैसे आप पश्चिमी देशों के प्रभाव को रोक पाएंगे?
ब्रिटिश उपनिवेश के जाने के बाद पाकिस्तान, भारत बांग्लादेश बना और कुछ हद तक अफगानिस्तान को भी इसमे शामिल कर सकते हैं तो फिर बांग्ला देश अफगानिस्तान या पाकिस्तान की हद तक विफल राष्ट्र क्यूँ नहीं बना कहीं ये पश्चिम देशों के इस्तेमाल के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति तो कारण नहीं और उस दोनों देश से ज्यादे रणनीतिक भूगोल तो कश्मीर का महत्वपूर्ण है और आप कश्मीर को पश्चिमी देशों के इस्तेमाल से कैसे रोकेंगे ?

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