अमेरिकी प्रेसिडेंट रूज़वेल्ट और यूनिवरसल ( शाश्वत ) अर्थशास्त्र

अमेरिकी प्रेसिडेंट रूज़वेल्ट और यूनिवरसल ( शाश्वत ) अर्थशास्त्र

यूनिवरसल ( शाश्वत ) अर्थशास्त्र के मूल को समझना हो तो हमे रूज़वेल्ट के उस कथन को समझना पड़ेगा की हम बनाते हैं मनुष्य और मनुष्य बनाते हैं घड़ियाँ, मशीन और जहाज। इस एक ही लाइन मे उन्होने अर्थशास्त्र के गुरुत्व संसाधन को पकड़ लिया था और वह है मानव संसाधन। ज्ञात या अज्ञात जो भी आर्थिक प्रगति हुई है उसे मानवों ने ही की है और दुर्गति भी हुई है तो मानवों ने ही की है। यह मानव संसाधन ही है जी किसी भी अर्थव्यवस्था का पायलट होता है, अतः ईसपे ध्यान और निवेश सबसे ज्यादे होना चाहिए। जितना ज्यादे उन्नत मानव संसाधन होगा चाहे वो ब्रेन या लेबर के रूप मे होगा स्थैतिक संसाधनों का गतिमान होना उतना तेज़ होगा, और उस देश की अर्थव्यवस्था उतनी मजबूत होगी। व्यक्ति अपनी कुशलता और बुद्धि से कुछ भी हासिल कर सकता है जरूरत है उसके अंदर छुपे कला और शक्ति को पहचानने और बाहर निकालने की।

अतः किसी भी राज्य को सबसे अधिक ध्यान अपने मानव संसाधन के सुख, स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, तकनीकी एवं कुशलता शिक्षा ( स्किल डेव्लपमेंट ) की तरफ देना चाहिए और उसी अनुसार स्वीकृत योजना बनानी चाहिए तभी राज्य प्रगति कर सकता है। जिस राज्य ने मानव संसाधन के अनुसार योजना नहीं बनाई और यदि बनाई भी तो अगर वहाँ के निवासियों द्वारा स्वीकृत नहीं है तो ऐसी योजना किसी काम की नहीं है। राज्यों को अपने मानव संसाधनों की सम्पूर्ण क्षमता आकलन के लिए अलग से एक शोध ग्रुप बनाना चाहिए ताकि वह निरंतर इस बात पे शोध करता रहे की इनकी उत्पादकता का मानक वांछित स्तर क्या है वर्तमान स्तर क्या है , अगर कोई अंतर पप्राप्त होता है तो इसे पाटने के लिए भावी योजनाएँ भी सरकार को प्रस्तुत करे। इसे पूरी तरह से शोध संस्था के रूप मे कार्य करना चाहिए ना की एक सरकारी विभाग की तरह।  

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