अलविदा बाला साहेब
आख़िरी सलाम : बहुत याद आओगे मुंबई को आप
आज पता नहीं क्यूँ हाथ रात के इस दो बजे रुके ही नहीं और
बरबस मैं बैठ गया मुंबई और महाराष्ट्र के निर्विवाद कद्दावर नेता को श्रद्धांजलि
देने। कुछ खास ही शख्सियत थे बाला साहेब। मैंने अपनी जिंदगी मे ऐसी शख्सियत गुरुवों के रूप मे ही पायी है या घर के एक ऐसे
बुजुर्ग के रूप मे जो बोलते तो हमेशा रहते हैं लेकिन हर बोल मे सीख , डांट
या आशीर्वाद ही रहता है और उस गुरु या बुजुर्ग की बात कोई नहीं काटता है। ठीक वैसा
ही देखा बाला साहेब के अंतिम समय मे चाहे जिसका उन्होने विरोध किया हो या समर्थन
किया हो सब उन्हे देखने आए। कुछ तो ख़ास था उनमे।
मेरा उनसे साबका सन 2006 से शुरू हुआ और मैंने एकदम उल्टा
पाया जैसा सुनता आया था। महाराष्ट्र के बाहर शिवसेना को उत्तर भारत से आए भारतीयों
का घुर विरोधी प्रचारित किया जाता है या ऐसा उनके व्यक्तव्यों से आशय लगाया जाता
है। लेकिन जब मैंने विधिवत मुंबई मे रहना शुरू किया तो मेरी शुरुवात सन 2006 मे
बाला साहेब के द्वारा बनवाए गए स्टेडियम दादों जी कोंडदेव स्टेडियम से हुई जहां पे
बाला साहेब ने मेरे बड़े भाई और श्री प्रेम शुक्ल के नेतृत्व मे “विश्व भोजपुरी
सम्मेलन” का आयोजन किया था।
इसी विश्व भोजपुरी सम्मेलन मे विश्व भर मे भोजपुरी साहित्य
पे कार्य कर रहे साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया था। भोजपुरी साहित्यकारों को
समुचित सम्मान मिले इसके लिए एक अलग से विशेष मंच का निर्माण किया गया था।
इसी सम्मेलन मे संस्था की तरफ से भोजपुरी मे विश्व प्रसिद्ध
उपन्यास “ ग्रामदेवता” लिखने वाले साहित्यकार श्री रामदेव शुक्ल को भिखारी ठाकुर
सम्मान दिया गया , इसी सम्मेलन मे पूर्वञ्चल मे भोजपुरी संस्कृति पे आधारित
“मेघदूत की पूर्वाञ्चल यात्रा “ का आयोजन किया गया था जिसमे भोजपुरी शादियों के
सभी संस्कारों से यहाँ का मराठी समाज रूबरू हो सका था।
इसी सम्मेलन मे भोजपुरी बिरहा सम्राट श्री हीरालाल यादव का
विशेष सम्मान किया गया। भोजपुरी बोली के लिए प्रसिद्ध तत्कालीन मंत्री श्री दुर्गा
मिश्रा का सम्मान पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री मनोहर जोशी ने किया था।
उसी समारोह मे शिरकत हुईं कजरी साम्राज्ञी उर्मिला
श्रीवास्तवा की कजरी लोगों को उतनी पसंद आई की बाला साहेब के “सामना” अखबार के
सहयोग से भोजपुरी संस्कृति मे रची कजरी महोत्सव का आयोजन प्रतिवर्ष सावन के महीनों
मे सन 2006 से लगातार मुंबई मे किया जा रहा है।
भोजपुरी के प्रसिद्ध कलाकार मनोज तिवारी का सम्मान श्री
उद्धव ठाकरे ने दो बार किया एक वर्ष 2006 के “विश्व भोजपुरी सम्मेलन” मे और दूसरा
वर्ष 2008 के भोजपुरी “उत्तरायन” समारोह मे किया।
आपको जानकार आश्चर्य होगा की मुंबई मे तमाम अखबारों के बीच
सामना ही एक ऐसा अखबार है जिसमे पूरा का पूरा एक पेज भोजपुरी भाषा मे ही रहता है
और उस पेज मे भोजपुरी भाषा की कवितायें, रचनाएँ और लेख रहता है। पूरा पेज देने का
साहस मैंने सिर्फ दो ही अखबारों मे देखा एक मेरे प्रयासों और मेरे बड़े भाई रत्नाकर
सिंह के साहस के द्वारा गोरखपुर मे “आज” अखबार ने शनिवार का एक पूरा पेज भोजपुरी
मे देना शुरू किया था और दूसरा मुंबई मे “सामना” अखबार ने दिया था। और कहीं भी
होता होगा ऐसा हो सकता है ,लेकिन राष्ट्रिय प्रसिद्ध अखबारों
पे सम्पूर्ण पेज देने का साहस सिर्फ “सामना” ने और “आज” अखबार ने ही किया है। जहां
“आज” सप्ताह मे एक बार देता था वही “सामना” सप्ताह मे 4-5 बार एक पेज भोजपुरी भाषा
के साहित्य के लिए होता है।
आपको शायद जानकर ये अचरज होगा की मैंने मुंबई मे किसी
कार्यालय मे सबसे अधिक सामान्य भोजपुरी भाषा बोलते हुवे कहीं किसी को देखा है तो
सिर्फ बाला साहेब के हिन्दी सामना के कार्यालय मे वो भी बेधड़क।
मुंबई मे उत्तर भारत से आया कोई नेता अगर सबसे आगे राजनीति
मे गया तो उसका श्रेय बाला साहेब को ही है। आज संजय निरूपम जहां कहीं भी है सिर्फ
और सिर्फ बाला साहेब के कारण।
हिन्दी सामना जो की “ दोपहर के सामना” के नाम से जानी जाती
है के कार्यकारी संपादक श्री प्रेम शुक्ल हैं और उन्होने पूरे मुंबई मे भोजपुरी के
जितने सांस्कृतिक कार्यक्रम कराएं हैं उतने कार्यक्रम पूरे मुंबई मे किसी भी उत्तर
भारत से आए लोगों ने नहीं कराये और वो भी बाला साहेब के आशीर्वाद की क्षत्रछाया
मे।
मुंबई मे मनोज तिवारी को करियर और संबल देने वाले यही प्रेम
शुक्ल ही थे जिनके सहयोग से मनोज तिवारी ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को एक आयाम
दिया है।
भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि अनिल मिश्रा हों, हीरालाल
यादव कवि या साइकल यात्री हीरालाल यादव हों, या परदेसिया
काला संगम के तहत होने वाला भोजपुरी नाटक हो या भोजपुरी गोलमेज़ बतकही हो सबका
सम्मान और सहयोग और हर वक़्त साथ खड़ा रहने का साहस बाला साहेब के अखबार “ दोपहर का
सामना” ने किया है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मे भोजपुरी निर्माण के लिए जब
धनसंग्रह की बात आई तो उसके धनसंग्रह के लिए कार्यक्रम के आयोजन का जिम्मा बाला
साहब के हिन्दी सामना कार्यालय ने ही लिया था। और इस भोजपुरी भवन के निर्माण मे
मुख्य भूमिका निभाने वाले श्री सदानंद जी के सम्मान समारोह का पूरा आयोजन बाला
साहेब के हिन्दी सामना कार्यालय ने ही किया था।
जब वर्ष 2010 मे मराठी भोजपुरी विवाद चरम पे था तब सामना
कार्यालय ने ही “संवाद” के लिए एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमे भोजपुरी और
मराठी भाषा को एक लाने का काम किया गया और उसका शीर्षक था “बढ़े संवाद मिटे विवाद”।
भोजपुरी कला और साहित्य का समाज बाला साहेब के इस् आंतरिक
और मजबूत सहयोग को कभी नहीं भूलेगा। एक साक्षी के तौर पे, अपनी
भोजपुरी साहित्यिक और सामाजिक संस्था “परदेसिया कला संगम” के
तरफ से, “विश्व भोजपुरी सम्मेलन” आर्थिक प्रकोस्ठ के
राष्ट्रिय अध्यक्ष के तौर पे और भोजपुरी असोशिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से आदरणीय बाला
साहेब को भोजपुरी समाज का आख़िरी सलाम। भोजपुरी संस्कृति आपके इस सहयोग को कभी नहीं
भूलेगा।
CA Pankaj Jaiswal
+91-9819680011
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