Concept of GST in India

जीएसटी को समझने से पहले हमे समझना होगा की यह गुड्स एवं सेवाओं पे दिया जाने वाला कर है।
पहले एक ही सौदे की शृंखला में बहुस्तरीय कर लगते थे जिसे भिन्न भिन्न सरकारें लगाती थी, मसलन अगर एक डब्बा पार्ले जी बिसकुट बिकता था तो उसमे स्थानीय निकाय अपना चुंगी कर, राज्य सरकार अपना बिक्री कर और केंद्र सरकार अपना एक्साइज़ लगाती थी।
जाहीर है सभी सरकारों का अपने टैक्स का खाता अपने पास होगा और उनकी मशीनरी भी अलग अलग होगी। एक डब्बा पार्ले जी बिसकुट की सौदा शृंखला मे इसका नुकसान यह होता था की एक सरकार को भुगतान किया गए कर का क्रेडिट दूसरे सरकार को देय कर मे से नहीं मिलता था क्यूँ की कर का लाभ लेने वाली सरकारें अलग अलग है और उनका हिसाब अलग अलग है।
अब जीएसटी व्यवस्था मे क्या हो गया है की एक सरकार को भुगतान किया गया कर क्रेडिट के रूप मे दूसरी सरकार को भी उपलब्ध होगा क्यूंकि सरकारों ने अपने स्तर पे कर एडजस्टमेंट करने का फैसला कर लिया है तथा साथ ही उसे अब अलग अलग नहीं एक ही पंजीकरण अब कराना होगा और एक ही मशीनरी के पास जाना होगा।

अब जीएसटी के तहत सौदे मे मुख्यतः 6 अंतर आएगा।

1-     पहला अंतर यह है की डीलर अपने बिल पे अब सिर्फ एक्साइज़ या वैट नहीं दो कर लगाएगा पहला CGST      दूसरा SGST । अंतराज्यीय बिक्री के दौरान दूसरा उत्पादक दूसरे राज्य मे बेचते वक़्त एक्साइज़ और सीएसटी अलग अलग नहीं लगाएगा, उसकी जगह नया कर IGST। यह लगभग पूर्व के एक्साइज़ और वैट के जोड़ के आसपास होगा।
2-     दूसरा अंतर किसी भी स्तर पर (वैट ) लगाने की प्रक्रिया मे पहले जो यह एक्साइज़ लगाने के बाद वाले मूल्य पे   वैट लगाया जाता था, अब इसको SGST लगाने के लिए किसी भी तरह के एक्साइज़ जो अब सीजीएसटी के        नाम से है , यदि देय है तो जोड़ना नहीं है।
3-     तीसरा अंतर यह है की डीलर को भी खरीद पर दिये गए एक्साइज़ (CGST)/ वैट (SGST)/ एवं IGST सेट    ऑफ का फायदा मिलेगा। आईजीएसटी का सेट ऑफ लेने की वरीयता मे पहले वह सीजीएसटी के भुगतान के     लिए प्रयोग करेगा और फिर उसके बाद बचेगा तो एसजीएसटी के लिए करेगा।
5-     और चौथा अंतर यह है की यहाँ सभी स्तरों पे करदाता के लिए कर व्यवस्था जीएसटी व्यवस्था के तहत   ही     होगा ना कि अलग अलग ।








जीएसटी से पहले और जीएसटी के बाद
जीएसटी से पूर्व
जीएसटी के बाद
कर लगाने वाली सरकारें :
केन्द्रीय सरकार, दूजा राज्य सरकार और तीसरा स्थानीय निकाय सरकार
कर लगाने वाली सरकारें :
केंद्र सरकार 
पंजीकरण और मशीनरी:
तीनों जगह पे करदाता को अपना पंजीकरण कराना पड़ता था
पंजीकरण और मशीनरी:
एक जगह
वस्तुवों के आयात, निर्यात एवं उत्पादन और सेवाओं पे कर :
केंद्र सरकार 
वस्तुवों के आयात, निर्यात एवं उत्पादन और सेवाओं पे कर :
केंद्र सरकार 
उत्पादन के बाद वाली बिक्री पे कर:
राज्य सरकार
उत्पादन के बाद वाली बिक्री पे कर:
केंद्र सरकार 
चुंगी कर यदि वस्तु पे बिक्री कर लगने के बाद किसी अन्य स्थानीय निकाय पे जाएगी :
स्थानीय निकाय
चुंगी कर यदि वस्तु पे बिक्री कर लगने के बाद किसी अन्य स्थानीय निकाय पे जाएगी :
केंद्र सरकार 
टैक्स अकाउंट :
तीनों सरकारें अलग अलग रखती थी।
टैक्स अकाउंट :
एक जगह
कर का क्रेडिट :
सरकारें अपने मे साझा नहीं करती थी मसलन स्थानीय निकाय को भुगतान कर का क्रेडिट राज्य और केंद्र नहीं देता था तो राज्य को भुगतान कर का क्रेडिट केंद्र और स्थानीय सरकार नहीं देती थी। और वाइस वरसा भी।
कर का क्रेडिट :
सरकारें अपने मे साझा करेंगी मसलन एक को भुगतान किए गए कर का क्रेडिट अब सौदे के कर के हर स्तर पर मिलेगा।
कर के नाम :
एक्साइज़
सर्विस टैक्स
वैट
सीएसटी
सीवीडी & एसएडी

कर के नाम :
एक्साइज़              सेंट्रल जीएसटी ( CGST )
सर्विस टैक्स           सेंट्रल जीएसटी ( CGST )
वैट                  स्टेट जीएसटी ( SGST )
सीएसटी               इंटेग्रटेड जीएसटी ( IGST )
सीवीडी & एसएडी       इंटेग्रटेड जीएसटी ( IGST )








उदाहरण A अगर महाराष्ट्र का माल महाराष्ट्र मे ही बिके
A- महाराष्ट्र का उत्पादक व्यापारी  
B- महाराष्ट्र का उत्पादक व्यापारी
C- महाराष्ट्र का डीलर व्यापारी
D- महाराष्ट्र का उपभोक्ता

जीएसटी से पूर्व
जीएसटी के बाद
A ने B को बेचा :
90 रुपये के बेसिक मूल्य माल पे 10/- का लाभ जोड़ के अगर (90+10) 100/- पर B को बेचता है तो वह उसपे पहले एक्साइज़ 10% के हिसाब से लगाएगा अब वैल्यू आएगा ( 100+10 ) 110/- और फिर इस 110/- पर 10% वैट लगा के B को बेचेगा तो फ़ाइनल वैल्यू आएगी B को (110+11) 121/-



अंततः
यहाँ बी को मूल्य 121/-, केंद्र सरकार को 10 और महाराष्ट्र सरकार को 11 रुपये प्राप्त होंगे।.   
A ने B को बेचा :
90 रुपये के बेसिक मूल्य माल पे 10/- का लाभ जोड़ के अगर (90+10) 100/- पर B को बेचता है तो वह उसपे (Excise/CGST) 10% और (VAT/SGST) 10% इसी 100 रुपये पर लगा के B को बेचेगा तो फ़ाइनल वैल्यू आएगी B को (100+10+10) 120/-।

जबकि पहले 121/- आ रही थी क्यूँ की एक्साइज़ के ऊपर भी वैट लगाते थे, जो अब ऐसा नहीं करना पड़ेगा।

अंततः
यहाँ बी को मूल्य 120/-, केंद्र सरकार को 10 और महाराष्ट्र सरकार को 10 रुपये प्राप्त होंगे।.
B ने C को बेचा :
अब B को 100 रुपये का बेसिक मूल्य आएगा और बी इसपे 10/- का लाभ जोड़ेगा तो मूल्य आएगा (100+10) 110/- और अब ईसपे वह एक्साइज़ 10% के हिसाब से लगाएगा अब वैल्यू आएगा ( 110+11 ) 121/- और अब इस 121/- पर वह 10% वैट लगा के C को बेचेगा वैल्यू आएगी C को ( 121+12.10) 133.10/-।





मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 11 रुपये एक्साइज़ और 12.10 रुपये वैट B लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय खरीद बिल के माध्यम से 10 रुपये एक्साइज़ और 11 रुपये वैट का भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए देय एक्साइज़ 11/- मे से 10 रुपये घटा के बाकी 1 रुपये ही केंद्र सरकार को भरना है और वैट के लिए इसी तरह 12.10 रुपये मे से 11 रुपये घटाने के बाद 1.10 रुपए ही महाराष्ट्र सरकार को भरना है।




अंततः
यहाँ C को मूल्य 133.10/-, केंद्र सरकार को क्रेडिट घटाने के बाद 1/- और महाराष्ट्र सरकार को 1.10 रुपये प्राप्त होंगे।
B ने C को बेचा :
अब B को 100 रुपये का बेसिक मूल्य आएगा और बी इसपे 10/- का लाभ जोड़ेगा तो मूल्य आएगा (100+10) 110/- और अब ईसपे वह उसपे (Excise/CGST) 10% और (VAT/SGST) 10% इसी 110 रुपये पर लगा के C को बेचेगा तो फ़ाइनल वैल्यू आएगी C को (110+11+11) 132/-।

जबकि पहले 133.10 रुपये आ रही थी क्यूँ की एक्साइज़ के ऊपर भी वैट लगाते थे, जो अब ऐसा नहीं करना पड़ेगा।



मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 11 रुपये (Excise/CGST) और 11 रुपये (VAT/SGST) B लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय खरीद बिल के माध्यम से 10 रुपये (Excise/CGST) और 10 रुपये (VAT/SGST) का भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए देय (Excise/CGST) 11/- मे से 10 रुपये घटा के बाकी 1 रुपये ही केंद्र सरकार को भरना है और (VAT/SGST) के लिए इसी तरह 11 रुपये मे से 10 रुपये घटाने के बाद 1 रुपए ही महाराष्ट्र सरकार को भरना है।



अंततः
यहाँ C को मूल्य 132/-, केंद्र सरकार को क्रेडिट घटाने के बाद 1/- और महाराष्ट्र सरकार को 1 रुपये प्राप्त होंगे।
C ने D को बेचा :
अब C को 110/- प्लस 11/- रुपये कुल 121/- बेसिक मूल्य आएगा, यहाँ 11 रुपये बेसिक मूल्य में इसलिए जुड़ गया क्यूँ की इसका क्रेडिट डीलर को नहीं मिलने वाला क्यूँ की वह अपने बिल मे एक्साइज़ नहीं लगाता है। अब डीलर इसमें अपना 10% लाभ 12.10 जोड़ेगा तो उसका मूल्य आएगा ( 121+12.10 ) 133.10 रुपये। इस 133.10 रुपये पर वह 10% की दर से वैट 13.31 रुपये लगाकर D को बेचेगा तो D को लागत पड़ेगी ( 133.10+13.31) 146.41 रुपये।
मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 13.31 रुपये वैट C लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय B के खरीद बिल के माध्यम से 12.10 रुपये वैट का भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए देय वैट 13.31 रुपये में से से 12.10 रुपये घटाकर 1.21 रुपये रुपए ही महाराष्ट्र सरकार को भरना है।





अंततः
यहाँ D को मूल्य 146.41/-, महाराष्ट्र सरकार को क्रेडिट घटाने के बाद 1.21 रुपये प्राप्त होंगे।
C ने D को बेचा :
अब C को 110/- रुपये ही बेसिक मूल्य आएगा यहाँ उसे (Excise/CGST) लागत नहीं है क्यूँ की क्रेडिट मिलेगा जीएसटी सिस्टम मे, अब डीलर इसमें अपना 10% लाभ 11 रुपये जोड़ेगा तो उसका मूल्य आएगा ( 110+11 ) 121 रुपये। इस 121 रुपये पर वह (Excise/CGST) 10% की दर से 12.10 रुपये लगाएगा और (VAT/SGST) 10% की दर से 12.10 रुपये लगाकर D को बेचेगा तो D को लागत पड़ेगी (121+12.10+12.10) 145.20 रुपये।
मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 12.10 रुपये (Excise/CGST) एवं (VAT/SGST) 12.10 रुपये C लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय B के खरीद बिल के माध्यम से 11 रुपये (Excise/CGST) एवं 11 रुपये (VAT/SGST) का भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए दोनों देय  (Excise/CGST)12.10 रुपये में से से 11 रुपये घटाकर 1.10 रुपये रुपए ही केंद्र सरकार को भरना है और ठीक उसी तरह से लगाए गए (VAT/SGST)12.10 रुपये में से से 11 रुपये घटाकर 1.10 रुपये रुपए ही महाराष्ट्र सरकार को भरना है।

अंततः
यहाँ D को मूल्य 145.20-, केंद्र सरकार को क्रेडिट घटाने के बाद 1.10 रुपये और महाराष्ट्र सरकार को क्रेडिट घटाने के बाद 1.10 रुपये प्राप्त होंगे।
नोट :
1-अंतिम उपभोक्ता को मूल्य 146.41/- पड़ेगा
2-कुल कर भार 24.31/- होगा

नोट :
1-अंतिम उपभोक्ता को मूल्य 145.20/- पड़ेगा
2-कुल कर भार 24.20/- होगा








उदाहरण B अगर महाराष्ट्र का माल यूपी में बिके
A- महाराष्ट्र का उत्पादक व्यापारी 
B- महाराष्ट्र का उत्पादक व्यापारी
C- यूपी का डीलर व्यापारी
D- यूपी का उपभोक्ता

जीएसटी से पूर्व
जीएसटी के बाद
A ने B को बेचा :
90 रुपये के बेसिक मूल्य माल पे 10/- का लाभ जोड़ के अगर (90+10) 100/- पर B को बेचता है तो वह उसपे पहले एक्साइज़ 10% के हिसाब से लगाएगा अब वैल्यू आएगा ( 100+10 ) 110/- और फिर इस 110/- पर 10% वैट लगा के B को बेचेगा तो फ़ाइनल वैल्यू आएगी B को (110+11) 121/-



अंततः
यहाँ बी को मूल्य 121/-, केंद्र सरकार को 10 और महाराष्ट्र सरकार को 11 रुपये प्राप्त होंगे।.   
A ने B को बेचा :
90 रुपये के बेसिक मूल्य माल पे 10/- का लाभ जोड़ के अगर (90+10) 100/- पर B को बेचता है तो वह उसपे (Excise/CGST) 10% और (VAT/SGST) 10% इसी 100 रुपये पर लगा के B को बेचेगा तो फ़ाइनल वैल्यू आएगी B को (100+10+10) 120/-।

जबकि पहले 121/- आ रही थी क्यूँ की एक्साइज़ के ऊपर भी वैट लगाते थे, जो अब ऐसा नहीं करना पड़ेगा।

अंततः
यहाँ बी को मूल्य 120/-, केंद्र सरकार को 10 और महाराष्ट्र सरकार को 10 रुपये प्राप्त होंगे।.
B ने C को बेचा :
अब B को 100 रुपये का बेसिक मूल्य आएगा और बी इसपे 10/- का लाभ जोड़ेगा तो मूल्य आएगा (100+10) 110/- और अब ईसपे वह एक्साइज़ 10% के हिसाब से लगाएगा अब वैल्यू आएगा ( 110+11 ) 121/- और अब इस 121/- पर वह 2% सीएसटी लगा के C को बेचेगा वैल्यू आएगी C को ( 121+2.42) 123.42/-।






मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 11 रुपये एक्साइज़ और 2.42 रुपये सीएसटी B लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय खरीद बिल के माध्यम से 10 रुपये एक्साइज़ और 11 रुपये वैट का भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए देय एक्साइज़ 11/- मे से 10 रुपये घटा के बाकी 1 रुपये ही केंद्र सरकार को भरना है और सीएसटी के लिए इसी तरह 2.42 रुपये भरने की नौबत ही नहीं आएगी क्यूँ की खरीद पे इससे ज्यादे 11 रुपये वैट वह महाराष्ट्र सरकार को भर चुका है।





अंततः
यहाँ C को मूल्य 123.42/-, केंद्र सरकार को क्रेडिट घटाने के बाद 1/- और महाराष्ट्र सरकार को NIL रुपये प्राप्त होंगे।
B ने C को बेचा :
अब B को 100 रुपये का बेसिक मूल्य आएगा और बी इसपे 10/- का लाभ जोड़ेगा तो मूल्य आएगा (100+10) 110/- और अब ईसपे वह उसपे (Excise/CGST) और पूर्व के सीएसटी की जगह 20% IGST लगा के C को बेचेगा तो फ़ाइनल वैल्यू आएगी C को (110+22) 132/-।

जबकि पहले 123.42 रुपये आ रही थी क्यूँ की एक्साइज़ के ऊपर भी सीएसटी लगाते थे और सीएसटी भी सिर्फ 2% लगाते थे ,जो अब ऐसा न करके सम्मिलित कर IGST 22/- लगाया।



मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 22 रुपये IGST B लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय खरीद बिल के माध्यम से 10 रुपये (Excise/CGST) और 10 रुपये (VAT/SGST) का भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए देय IGST 22/- मे से 20 रुपये घटा के बाकी 2 रुपये ही केंद्र सरकार को भरना है।
यहाँ करदाता IGST के भुगतान मे 10 रुपए चूंकि SGST क्रेडिट यूज कर रहा है जिसके कारण केंद्र सरकार को उतने से IGST कम प्राप्त हो रहा है इस पैसे को सरकारें एडजस्ट करेंगी और महाराष्ट्र सरकार, IGST मे 10 रुपये क्रेडिट देने के कारण केंद्र सरकार को इसकी भरपाई करेगी।



अंततः
यहाँ C को मूल्य 132/-, और केंद्र सरकार को क्रेडिट घटाने के बाद 2/- रुपये प्राप्त होंगे और महाराष्ट्र सरकार से 10 रुपये प्राप्त होंगे।
C ने D को बेचा :
अब C को 110/- प्लस 11/- प्लस 2.42 रुपये प्लस एक नया स्टेट एंट्री टैक्स 3/- जोड़कर कुल 126.42/- बेसिक मूल्य आएगा, यहाँ 13.42 रुपये बेसिक मूल्य में इसलिए जुड़ गया क्यूँ की इसका क्रेडिट डीलर को नहीं मिलने वाला क्यूँ की वह अपने बिल मे एक्साइज़ या सीएसटी नहीं लगाता है और 3 रुपये स्टेट प्रवेश शुल्क अलग से लग गया। अब डीलर इसमें अपना 10% लाभ 12.64 जोड़ेगा तो उसका मूल्य आएगा ( 126.42 12.64 ) 139.06 रुपये। इस 139.06 रुपये पर वह 10% की दर से वैट 13.90 रुपये लगाकर D को बेचेगा तो D को लागत पड़ेगी ( 139.06+13.90) 152.96 रुपये।
मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 13.90 रुपये वैट C लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करना पड़ेगा क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय B के खरीद बिल के माध्यम से सारा कर दूसरी सरकार को भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए देय वैट 13.90  रुपये में से सीएसटी का भी क्रेडिट नहीं मिलना है और एंट्री टैक्स का भी क्रेडिट नहीं मिलता है अतः उसे पूरा 13.90 रुपये वैट यूपी सरकार को भरना है।






अंततः
यहाँ D को मूल्य 152.96/-, यूपी सरकार को NIL क्रेडिट के कारण (13.90 + 3 ) 16.90 रुपये प्राप्त होंगे।
C ने D को बेचा :
अब C को 110/- रुपये ही बेसिक मूल्य आएगा यहाँ उसे IGST लागत नहीं है क्यूँ की क्रेडिट मिलेगा जीएसटी सिस्टम मे, अब डीलर इसमें अपना 10% लाभ 11 रुपये जोड़ेगा तो उसका मूल्य आएगा ( 110+11 ) 121 रुपये। इस 121 रुपये पर वह (Excise/CGST) 10% की दर से 12.10 रुपये लगाएगा और (VAT/SGST) 10% की दर से 12.10 रुपये लगाकर D को बेचेगा तो D को लागत पड़ेगी (121+12.10+12.10) 145.20 रुपये।


मौजूदा क्रेडिट मैकानिज़म
यह जो 12.10 रुपये (Excise/CGST) एवं (VAT/SGST) 12.10 रुपये C लगा रहा है उसे उसका पूरा भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्यूँ की इस सौदा शृंखला मे वह खरीद के समय B के खरीद बिल के माध्यम से 22/- IGST का भुगतान कर चुका है अतः उसे लगाए गए दोनों देय  कर मे से  (Excise/CGST) मे से 12.10 रुपये घटाकर NIL रुपए ही केंद्र सरकार को भरना है और (VAT/CGST) 12.10 मे से IGST क्रेडिट मे से बाकी ( 22 – 12.10 ) 9.90 रुपये जो बचता है का क्रेडिट मिलेगा और उसे यूपी सरकार को 2.20 रुपये भरना पड़ेगा। यह 9.90 रुपया जो करदाता को क्रेडिट मिला है ISGT पेमेंट में से उसे सरकारें एडजस्ट करेंगी, यह 9.90 रुपया केंद्र सरकार यूपी सरकार को भरपाई करेगी।

अंततः
यहाँ D को मूल्य 145.20-, और केंद्र सरकार को इस सौदे मे से क्रेडिट घटाने के बाद 0 रुपये लेकिन यूपी सरकार को 2.20 रुपये उपभोक्ता से और 9.90 रुपया केंद्र सरकार से मिलेगा।
नोट :
1-अंतिम उपभोक्ता को मूल्य 152.96/- पड़ेगा
2-कुल कर भार 38.90/- होगा

नोट :
1-अंतिम उपभोक्ता को मूल्य 145.20/- पड़ेगा
2-कुल कर भार 24.20/- होगा


अभी भी संघीय कर ढांचे के मूल तीन प्रश्न अनुत्तरित हैं। 

पहला प्रश्न : पूर्व कि व्यवस्था के तहत अगर उपभोक्ता उत्तर प्रदेश का है और महाराष्ट्र मे निर्मित वस्तु का उपभोग करता है तो जो वह मूल्य भुगतान करता है उसमे उत्पादक द्वारा वसूल किया उत्पाद शुल्क भी होता है जिसे उत्तर प्रदेश का उपभोक्ता भुगतान करता है। इस भुगतान मे पहले भी उत्तर प्रदेश को कोई अंश नहीं मिलता था, महाराष्ट्र और केंद्र सरकार आपस मे इस कर को बांटते थे और इस नई जीएसटी व्यवस्था मे भी यह महाराष्ट्र और केंद्र के हिस्से मे आएगा, यूपी फिर ठन ठन गोपाल रहेगा। प्रश्न यह है क्या इस व्यवस्था मे यूपी का शेयर नहीं होना चाहिए आखिर उपभोग के माध्यम से इस सौदे कि कड़ी यूपी भी है और अंततः रुपया तो यूपी से ही वसूला जा रहा है और इस रुपये को कमाने मे यूपी का इन्फ्रा यूज हुआ है।
दूसरा प्रश्न : इसी प्रकार आयकर की दशा मे पूर्व कि व्यवस्था के तहत अगर उपभोक्ता उत्तर प्रदेश का है और महाराष्ट्र मे निर्मित वस्तु का उपभोग करता है तो जो वह मूल्य भुगतान करता है उसमे उत्पादक का लाभ और उसपे लगने वाला आयकर भी जुड़ा होता है जिसे उत्तर प्रदेश का उपभोक्ता भुगतान करता है। इस भुगतान मे पहले भी उत्तर प्रदेश को कोई अंश नहीं मिलता था, केवल केंद्र सरकार इस कर को लेती थी और इस नई जीएसटी व्यवस्था मे भी यह केंद्र के हिस्से मे आएगा, यूपी फिर ठन ठन गोपाल रहेगा। प्रश्न यह है क्या इस व्यवस्था मे यूपी का शेयर नहीं होना चाहिए आखिर उपभोग के माध्यम से इस सौदे कि कड़ी यूपी भी है और अंततः लाभ और आकार तो उत्पाद मूल्य के माध्यम से तो यूपी से ही वसूला जा रहा है और इस रुपये को कमाने मे यूपी का इन्फ्रा यूज हुआ है।
तीसरा प्रश्न : नयी व्यवस्था के तहत राज्य सरकार के हाथ से कर कि शक्ति जा रही है और कुछ नुकसान भी है जिसे केंद्र सरकार ने सिर्फ 5 साल के लिए लिए क्षतिपूर्ति करने के लिए बोला है। उसके बाद क्या?
इन संघीय चुनौतियों के अलावा अन्य चुनौतियाँ निम्न है भी, जीएसटी और जीएसटी पूर्व के पंजीकरण को संभालना और पहले से चली आ रही ढांचे और मानवीय एवं अन्य संसाधनों को कैसे समायोजित करेंगे। ऑटोमेशन कि समस्या और शुरू मे अन्य अनुभव कि कमी। कुल मिला के करदाता कि चुनौतियाँ तो कुछ कम हुई देखना है सरकार कैसे निपटती है इन चुनौतियों से।


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