श्रम क्रांति का वैश्विक आदर्श है गिरमिटियों का मॉरीशस

विश्व भर के श्रमिकों के संघर्ष का सफलतम वैश्विक आदर्श है मॉरीशस। एक समय मे यूरोप मे जब मार्क्सवाद माओवाद और लेनिनवाद जैसे संघर्ष अपना आकार ले रहे थे वहीं मॉरीशस ने उससे भी बड़ी लकीर खींच दी और यह किसी एक व्यक्ति का वाद या उसके द्वारा खींची लकीर नहीं थी यह सम्पूर्ण मौरियन के द्वारा खींची गयी लकीर है जिसमे गिरमिटिया भोजपुरी मौरियन के अलावा पूर्व से ही निवासी मौरियन लोगों का भी योगदान है। इसके लिए मैं इन्हे नमन करता हूँ।

मॉरीशस को इस आदर्श के अलावा विश्व मे और विशेषकर भारत मे अपनी भाषा और संस्कृति के सरंक्षण संवहन के लिए भी आदर्श माना जाएगा। मैं समझ सकता हूँ की आज से दो सौ साल पहले जब टेलीफ़ोन और मोबाइल तो दूर चिट्ठी पत्री के भी संपर्क की संभावना नहीं थी मेरे प्यारे भोजपुरी मौरियन ने जहाज के नाम को ही अपना सरनेम बना के सुदूर भारत मे अपनी पहचान के सूत्र बनाए रक्खे।
भारत से सुदूर मॉरीशस मे आने पे यहाँ पर भी गंगा तालाब ,छठ पूजा, मंदिर, भोजपुरी भाषा का सामान्य जीवन मे प्रयोग देख के मन गदगद हो जाता है की कैसे आपने विरह के दर्द के साथ साथ अपनी भाषा और संस्कृति को संरक्षित रक्खा।

मैं कल्पना कर के ही सिहर जाता हूँ की बिछुड़ने का दर्द उस काल मे कैसा रहा होगा जहां अपने जन्मस्थान जाने की कोई संभावना नहीं बची हो और पुनः संपर्क करने की भी कोई संभावना नहीं बची हो तो कैसे लोगों ने काल के प्रवाह मे अपने को संभाला होगा, निश्चित तौर पे इतने दर्द मे भी अपने उत्कर्ष को प्राप्त करना, अपने इतिहास को बचा के रखना और अपनी भाषा संस्कृति को बचा के रखना सलामी के लायक है।

एक ऐसे समय मे जब भोजपुरी अपने जन्म स्थान पर ही राजकीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही हूँ भोजपुरी को माँ का दर्जा देने वाले मौरियन ने अपने पुत्र होने का प्रथम फर्ज़ निभाया और भोजपुरी को यहाँ राजकीय भाषा का दर्जा दिया। हम समस्त भोजपुरिया आपको इस अगुवाई के लिए दिल से धन्यवाद देते हैं।



Comments