वर्ग संघर्ष नहीं वर्ग संतुलन साम्यवादी अर्थशास्त्र का मूल है

वर्ग संघर्ष नहीं वर्ग संतुलन साम्यवादी अर्थशास्त्र का मूल है

बहुत से विद्वानों ने समाज और राज्य मे साम्यता लाने के लिए वर्ग संघर्ष को अनिवार्य बनाया है।लेकिन शाश्वत अर्थशास्त्र इसे अनिवार्य नहीं मानता है उसका कहना है की वर्ग संघर्ष एक कृत्रिम अवस्था है समानता प्राप्त लाने के लिए। प्रत्येक मानवों के बीच एक संतुष्टि बिन्दु होता है, व्यवस्था का कार्य होता है उस संतुष्टि बिन्दु को पहचानना जब तक कोई व्यक्ति भले ही किसी वर्ग मे वर्गीकृत हो वह संघर्ष तभी तक करता है जब तक की वो उस अपने संतुष्टि बिन्दु को प्राप्त नहीं कर लेता एक बार जब वह संतुष्टि बिन्दु को प्राप्त कर लेता है वह समाज के विभिन्न वर्गों से कोई प्रतिद्वंदीता नहीं करता। उदाहरण के तौर पे कस्बों का एक सामाजिक वर्गिकरण होता है उसमे एक अमीर परिवार होता है मध्यम परिवार होता है और गरीब परिवार होता है। इन तीनों वर्गों मे खाई है लेकिन आप इन्हे संघर्ष करते हुए नहीं पाएंगे अगर इनकी न्यूनतम दैहिक और सामाजिक आवश्यकताएँ पूरी होती है, एक रेहड़ी वाले का परिवार, एक शिक्षक का परिवार, एक परचून वाले का परिवार एक अमीर परिवार बिना किसी वर्ग संघर्ष के समरस भाव से रहते मिल जाएंगे।
एक उदाहरण मैं मुंबई का लेता हूँ एक पार्टी मे आप मुकेश अंबानी अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर को ले लीजिये, उस पार्टी के समय काल मे भौतिक रूप से इन तीनों के बीच जमीन आसमान की खाई है मुकेश अंबानी की रईसी की तुलना मे अमिताभ बच्चन और सचिन कहीं ठहरते नहीं हैं और वैसे सचिन और अमिताभ मे भी अंतर है लेकिन क्या आप वहाँ पे इनके बीच कोई अंतर या वर्ग संघर्ष पाएंगे, आप नहीं पाएंगे क्यूँ की सभी ने अपने संतुष्टि बिन्दु को प्राप्त कर लिया है और अगर ये कोई, मान लीजिये अमिताभ बच्चन कोई  संघर्ष कर भी रहें हैं तो अपने महत्तम अनुकूलतम सर्वोत्तम संतुष्टि मूल्य को प्राप्त करने के लिए ना कि अपने से भिन्न वर्ग मुकेश अंबानी या सचिन की तुलना मे अमिताभ का कोई वर्ग संघर्ष कर रहें हैं, इनकी सापेक्षता मे वह अपने संतुष्टि बिन्दु को प्राप्त कर चुके हैं।
वास्तव मे संतुष्टि बिन्दु ही वर्गों का संतुलन बिन्दु होता जहां वर्ग संघर्ष समाप्त होता है इस संतुष्टि बिन्दु कि अवस्था मे समाज के विभिन्न वर्ग अपनी तरह कि एक साम्यता प्राप्त करते हैं और यह बिन्दु ही साम्यवादी संतुलन का बिन्दु होता है जहां समाज के सभी वर्ग संतुलन मे होते हैं। इसके बाद यदि कोई संघर्ष होता है तो वो मौलिक वर्ग संघर्ष ना हो के कृत्रिम वर्ग संघर्ष होता है।


इसलिए राज्यों का कर्तव्य होता है कि वह अपनी जनता के उन संतुष्टि बिन्दु का शोध करें जहां साम्यवादी संतुलन का बिन्दु हो और जहां समाज के सभी वर्ग संतुलन मे हों और जो राज्य इन बिन्दुवों पर शोध कर अपनी राज्य कि नीतियाँ बनाएँगे उन राज्यों मे कभी भी वर्ग संघर्ष नहीं होगा।

Comments