नदी मे बालू



मेरे गाँव के पास एक नदी बहती है नारायणी, यह नदी अपने आवेग एवं बाढ़ के लिए प्रसिद्ध है। और इस नदी की उम्र हजारों साल होगी। पहले हमारे गाँव मे पक्के मकान नहीं होते थे तथा आसपास के गाँवों के मकान भी पक्के नहीं होते थे। हर साल नदी मे बाढ़ आती थी और अपने साथ ढेर सारा बालू लाती थी। जब तक पूरे क्षेत्र मे पक्के मकान नहीं थे किसी को उस बालू का मूल्य पता नहीं था, जबकि हजारों साल से वो बालू वहाँ बह के आता था और बह के चला जाता था। जब गाँव के लोग बाहर गए, पक्का मकान देखे फिर पता चला की पक्के मकान मे बालू की क्या उपयोगिता है। गाँव आने के बाद उन्होने अपने गाँव मे और गाँव के आसपास लोगों को पक्के मकान बनाने के लिए प्रेरित किया। इसका परिणाम ये हुआ की वहाँ पे बालू का व्यापार शुरू हो गया। तथा जो बालू सदियों या यूं कहें की हजारो साल से आती जाती थे उन्हे खुद और गाँव वालों को खुद उसका मूल्य पता नहीं था आज वो मूल्यवान हो गईं और आज गाँव और गाँव के लोगो के तरक्की का कारण है। उनकी आर्थिक स्थिति पूरी बदल गयी। सूचना एवं जानकारी के विकास ने अपने आसपास स्थैतिक तक पड़े संसाधनो को ऊर्जा युक्त बनाया और ये ऊर्जा पुंज ऐसा नहीं की विशेष प्रयोग के द्वारा पैदा किया गया। ये पहले से था बस न तो हमारी जरूरत और न हमारी दृष्टि ईसपे पड़ी, जब हमने अपनी जरूरत अपनी दृष्टि विकास किया हमारे साथ गाँव का भाग्य बादल गया। अपने गाँव, समाज, देश के विकास के लिए बस हमे दृष्टि डालनी चाहिए की कौन सी संसाधन सुषुप्त पड़ी हुयी है।

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