मुंबई का केजरीवाल : अनिल गलगली, जिन्होने रिलायंस और गांधी फॅमिली को खुली चुनौती दी


मुंबई का केजरीवाल : अनिल गलगली, जिन्होने रिलायंस और गांधी फॅमिली को खुली चुनौती दी

देश मे रिलायंस के खिलाफ़ ऐसा नहीं है की पहली बार केजरीवाल खड़े हुए हैं, केजरीवाल से बहुत पहले सामान्य से दिखने वाले मुंबई के अनिल गलगली ने मुकेश अंबानी को अपने अट्टालिकानुमा अंटालिया से बाहर निकाल के फूटपाथ पे आने को मजबूर किया और फूटपाथ पर अनधिकृत निर्माण तोड़ने के लिए फावड़ा उठाने पर भी खुद ही मजबूर कर दिया। यह एक ऐसा योद्धा है जिसने अनिल अंबानी को मुंबई मेट्रो को रिलायंस का मेट्रो बनाने से रोक दिया वो भी बिना किसी राजनैतिक महत्वाकांक्षा के। बिजली कंपनियों और रिलायंस पे केजरीवाल ने अभी आवाज़ उठाया है जबकि बहुत समय पहले ही अनिल गलगली के प्रयासों के कारण मुंबई मे रिलायंस एनर्जी आरटीआई के दायरे मे आ सकी। यह कोई गिनी चुनी घटना नहीं है अनिल गलगली चुपचाप जनता से जुड़े मुद्दे को धीरे धीरे कर के उठाते चले जाते हैं और व्यवस्था इनके प्रश्नों के कारण धीरे धीरे पटरी पर आ जाती है। अंबानी ब्रदर के अलावा देश के सबसे ताकतवर परिवार को भी उन्होने देश के प्रति जबाबदेह बनाते हुए झुकाया।देश का सबसे बड़ा पावरफुल गांधी परिवार के स्वामित्व के कब्जे वाले नेशनल हेराल्ड के पास मुंबई के प्रमुख इलाके मे नियमों को धता बताते हुए एक प्लॉट 30 वर्षों से आवंटित पड़ा था जिसे नियमतः शुरुवाती 3 सालो मे डेवलप हो जाना चाहिए था लेकिन इस बात को दबा के रखा गया और जब अनिल गलगली ने इसपर प्रश्न उठाया तो गांधी परिवार ने अपने ऊपर उठे इस आंच को शांत करने के लिए आनन फानन मे निर्माण कार्य शुरू करवाया।
अनिल गलगली एक ऐसे नाम हैं जिनका नाम किसी सरकारी कार्यालय मे आते ही कार्यालय का काम अपने आप सही हो जाता है। विशेष यह भी है कि आज तक अनिल गलगली को किसी ने भी ना धमकी दी ना हमला किया है, वजह इनहोने आज तक निजी फायदे के लिए ना तो कभी आरटीआई डाली और ना ही निजी फायदे के लिए पत्रकारिता की। “अग्निशिला” नाम की समाचार पत्रिका निकालने वाले गलगली को रिलायंस ने पत्रिका के चंदे के नाम पे प्रलोभन भी देने की कोशिश की जिसे उन्होने ठुकरा दिया 
गांधी परिवार, पृथ्वीराज चव्हाण और रत्नाकर गायकवाड जो हमेशा अपने अपने स्तर पर आरटीआई को लागू करने का श्रेय लेते थकते नहीं है ऐसे तीनों महानुभवों पर आरटीआई का इस्तेमाल किया और उनकी धाँधली को भी उजागार करने का काम इन्होने किया।
इनके प्रयासों की फेहरिश्त बहुत लंबी है उसमे से कुछ प्रमुख निम्न हैं।
1- महाराष्ट्र के सीएम के वडाला स्थित फ्लॅट का प्रश्न अनिल गलगली ने ही उठाया था जिस मुद्दे पर सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के जाने की तलवार अब नहीं तब लटकी है।
2- अनिल गलगली के प्रयासों और प्रश्नो ने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार  को 27 लाख रुपये हर्जाना भरने पर मजबूर किया जो उन्होने अपने बंगले के रखरखाव पर अनावश्यक खर्च किया था।
3- मंत्रियों के अनावश्यक बंगले और हवाई यात्रा खर्च पर मंत्रिमंडल को जबाबदेह बनाने का काम अगर किसी ने किया है तो वो अनिल गलगली हैं।
4- इनके लगातार आरटीआई के प्रश्नों और सहज प्रहरता के कारण ही मुंबई मे मोनो रेल शुरू हो पाया, सहार एलिवेटेड रोड का निर्माण हो पाया और मुंबई मेट्रो गिरते पड़ते पूरे होने के कगार पे है।
5- पूरा देश मुंबई 26/11 हमले के आरोपी कसाब पर हुए खर्च को देश जान पाया।
6- प्रदेश सरकार द्वारा आदर्श आयोग के पर कितना खर्चा किया गया को अनिल गलगली ने ही उजागर किया जिसके बाद प्रदेश सरकार और राहुल गांधी की आँख खुली और आदर्श आयोग को फिर से जांच करने का आदेश सीएम ने दिया और राहुल गांधी ने आदर्श आयोग पर सीएम के रूख की खुली आलोचना की।
7- इनके प्रश्नो के माध्यम से ही देश जान पाया की मुंबई में प्रति माह मे एक गैंगरेप और प्रतिदिन एक रेप होता है।
8- मुख्य सचिव रहे और मुख्य सूचना आयुक्त रत्नाकर गायकवाड के फ्लॅट और पद के गलत प्रयोग का भंडाफोड़ अनिल गलगली ने ही किया।
9- डॉ पी एस मीना जो महाराष्ट्र सामान्य प्रशासन विभाग के मुखिया है। इनके  द्वारा वाहन के नाम पर किए जा रहे 5 लाख के गड़बड़झाले को अनिल गलगली ने ही उठाया।
10- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री द्वारा फ़ाइल पास करने की गति और उसके रिजेक्शन की गति क्या है इसका पता भी इनहोने ही लगाया।
11- महाराष्ट्र के मंत्रियों की मंत्रालयों मे उपस्थिति रेकॉर्ड की मांग के साथ एक हाथ से उनकी पोल खोलना और दूसरी हाथ से उन्हे जबाबदेह बनाना उसे अनिल गलगली ने ही किया।
12- मंत्रियों की संपत्ति से संबन्धित सूचना के लिए आप अब तक 3 आरटीआई डाल चुके हैं।
13- मुंबई में बढते हुए जुवेनाइल क्राइम की सच्चाई खोली। वर्ष 2013 में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और सरकार तथा मुंबई पुलिस की लापरवाही को उजागर किया।
14- केजरीवाल के शपथ ग्रहण का खर्चा जानने के लिए आरटीआई डाला, जिसमे से सिर्फ सामान्य प्रशासन विभाग ने ही 633802 रुपये खर्च का ब्योरा दिया बाकी विभाग जैसे की स्वास्थय विभाग, लोक निर्माण, दिल्ली जल बोर्ड , फायर ब्रिगेड, ऊर्जा एवं एवं अन्य विभाग के लिए अलग से आरटीआई डालने का जबाब दे दिया गया।
15- केजरीवाल के कैबिनेट मीटिंग का ब्योरा मांगा जिसे दिल्ली सरकार ने देने से माना कार दिया।
बिना किसी निजी लालच के निरंतर कार्य करता हुआ ऐसा है यह महाराष्ट्र का बेहद सक्रिय और बेहद शांत व्यक्तित्व का योद्धा जिसने अन्ना और केजरीवाल के उलट धीरे धीरे बिना किसी महत्वाकांक्षा के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, नौकरशाह और रिलायंस जैसे घराने को चुपचाप विशिष्ट मुद्दों पे ही सही जनता के हित मे कार्य करने और जनता के प्रति जबाबदेह बनाने को मजबूर किया।


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