श्रमिक लाभांश : श्रमिक भी निवेशक है

सामाजिक न्यायिक अर्थशास्त्र और निवेशकर्ता को रिटर्न

किसी भी उद्यम मे दो तरह के निवेशक होते हैं
1-    जैविक
2-    अजैविक

जैविक निवेशक : मालिक , लेनदार, श्रमिक, प्रकृति जैविक निवेशक होते हैं। जिसमे से लेनदार अपने व्यवसाय मे खुद ही मालिक होता है अतः इफेक्टिव वर्गिकरण मे तीन ही मूल रूप से जैविक निवेशक होते हैं। मालिक, प्रकृति और श्रमिक।

अजैविक निवेशक : मशीन और तकनीक अजैविक मशीन होती है।अर्थशास्त्र मे मशीन और तकनीक मे भावनाएँ नहीं होती है अतः इनको प्रोग्राम निश्चित कर के चलाया जा सकता है  लेकिन जैविक निवेशक के दो हिस्से मालिक और श्रमिक को प्रोत्साहन की बहुत जरूरत होती है जो उत्पादन और लाभ से सीधे जुड़ी होनी चाहिए। अब तक लाभ और उत्पादन से कानूनी लाभ लेने का अधिकार सिर्फ मालिक को दिया गया है। जबकि मेरे हिसाब से सामाजिक न्यायिक अर्थशास्त्र के तहत श्रमिक को भी लाभ मे अधिकार अनिवार्य होना चाहिए क्यूँ की उत्पादन का स्वाभाविक अंशदाता वह भी है। आज के आधुनिक दौर मे मशीन के बढ़ते प्रयोग को नकारा नहीं जा सकता है लेकिन इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है की मशीन के प्रयोग ने श्रम के बड़े हिस्से का रोजगार कम किया है। जरूरत है इस गैप को न्यायसंगत बना के न्यायपूर्ण वितरण करने की ताकि मशीन के प्रयोग से होने वाली रोजगार की कमी की क्षतिपूर्ति की जाए। इसका फॉर्मूला चाहे तो ऐसे बनाया जा सकता है।

श्रमिक लाभांश की गणना विधि
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1- उत्पादन मे लगने वाली मशीन का चिन्हिकरण करना
2- फिर उनपे लगने वाला ह्रास , किराया एवं अन्य लागतो को जोड़ना
3- इन कुल लागतों का कुल बिक्री से अनुपात निकालना
4- इस अनुपात के अनुसार उत्पादन मे लगने वाली मशीन का प्रतिशत मूल्य निकालना
5- प्राप्त मूल्य ही श्रम का अवसर त्याग है जिसे शर्म संपत्ति ( DR ) और श्रम पूंजी (CR) की तरह आर्थिक चिट्ठे मे जगह देना
6- फिर अब व्यवसाय मे दो पूंजी प्रदाता हो गए एक श्रमिक और दूसरा वास्तविक

7- अब लाभांश दोनों को इस नयी समायोजित पूंजी पे प्रदान करना 
8- लाभांश को न्यायसंगत बनाने के लिए क्षमता उत्पादन की एक सीमा निर्धारित की जा सकती है, ताकि वह क्षमता उत्पादन प्राप्त करने पे ही लाभांश दिया जाएगा।

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